सत्तर साल का हिसाब
सत्तर साल का हिसाब
सत्तर साल की उन्नति पे, सवाल अब ये उठाते हैं
नाम बदल कर कामों का, अपना ही गुणगान गवाते हैं।
आज हिसाब हम सब देंगे, उन सारे देश के कामों का,
सत्तर साल में जो किया हमने, देश को आगे ले जाने का।
जनता मांग रही है इनसे, किया क्या है दस सालों में,
जनता को भटका रहे हैं, तरह तरह के सवालों में।
आजादी के वक्त ये सब भाई, लगे हुए थे देश तोड़ने में,
वाधायें बनकर खड़े थे उनके रास्ते में,
जो लगे थे देश जोड़ने में।
आजादी को रोक ना पाए, कई षड्यंत्र चलाने पर,
देश को दो हिस्सों में तोड़ा, अंग्रेजों के बहकाने पर।
टूटा बिखरा देश मिला था, देश के पहरदारों को,
लग गए उसको फिर से जोड़ने, उन गलियों खलिहानों को।
अंग्रेजों से छुटकारा पाकर, गांधी ने सबसे मिलकर देश बनाया है,
बाबा साहब ने सिद्धांत बनाकर, देश को एक तार में जुड़वाया है।
विद्या, कृषि, और उद्योग को, सबने मिलकर उजागर किया,
इस बिखरे हुए देश को सबने, धीरे धीरे मजबूती दिया।
चौबीस साल बाद फिर इसी देश ने, दुश्मन के टुकड़े कर डाले,
सुपर पावर अमेरिका जैसे देशों के, अच्छे छक्के छुड़ा डाले।
साइंस, इंजीनियरिंग, मेडिकल में, देश तरक्की करने लगा,
ऐसे ही पूरी दुनिया में, देश का डंका बजने लगा।
फैले दुनिया में देशवासी, कंपनियों पे राज करने लगे,
धीरे धीरे दुनिया में, अंग्रेज भी हमसे डरने लगे।
दस साल की गलती से, देश लूटेरों के हाथ गया,
लूट लिया खजाना इसका, ऐसे देश बर्बाद किया।
फिर से हिंदू-मुस्लिम का, नारा अब ये ले आए,
बांट रहे इस जनता को, भगवान का सहारा ले आए।
सत्तर साल में जो किया हमने, उसका हिसाब हम देते हैं,
अगर दस साल की बात करें ये, जूतों से ये पिटते हैं।
इसलिए तो हर इंटरव्यू में, राम का नाम ले आते है,
चलता नहीं कोई जोर इनका, तो भगवान को सामने ले आते हैं।
हद तो इतनी हो गई है, अब मोदी को ही भगवान बना दिया,
वो मां से पैदा नहीं हुआ, पूरी दुनिया को ये बता दिया।
मूर्ख लोगों ने इसको, असली में ही है सच मान लिया,
लग गए रात दिन पूजा में, भगवान को भी बदनाम किया।
by
Rakesh K Sharma
This poem has been updated, and audio version of this poem will come soon
Comments
Post a Comment