बीफ के व्यापारी
बीफ के व्यापारी
कभी-कभी हम सोच रहे हैं,
हुआ क्या है मेरे देश को?
बीफ बेचने वाले तो हिंदू बन बैठे,
बुरा-भला कहते हैं परदेस को।
गाय को माता कहते हैं ये,
बैल को नंदी बताते हैं।
धोखे की राजनीति करते ये लोग,
सबको नाच नचाते हैं।
गाय का मांस खाने वालों को,
पापी ये सब कहते हैं।
इनके लोग जुर्म करें उनको,
फूलों के हार पहनाते हैं।
कैसा सनातन धर्म है ये,
जिसको पहचान सके ना कोई।
ठगों की आड़ में बढ़ता जाता,
रोक ना पाए जिसको कोई।
तिलकधारी हिंदू व्यापारी बनकर,
गाय मांस का धंधा करते हैं।
आग लगाते दुनिया में ये,
धर्मों को बदनाम करते हैं।
मूर्ख जनता पूरी दुनिया में,
फंस जाती इन चक्करों में।
क्या सही है और क्या गलत है,
समझ नहीं पाती इन चक्करों में।
धर्म के नाम पर लूटते ये सब,
धर्म का धंधा करते हैं।
धर्म के नाम पर गाय माता को,
बदनाम उसे ये करते हैं।
कोई भी काटे गाय को या
कोई भी काटे बकरे को,
जितना धार्मिक अपने को कह ले,
पापी कहेंगे हम उन दोनों को।
© राकेश शर्मा
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